संदेश

The respiratory system

श्वसन तंत्र(the respiratory system)  खाद्य पदार्थो के ऑक्सीकरण को ही श्वसन कहते हे l  श्वसन एक जेव रासायनिक प्रक्रिया हे जिसके फलस्वरूप उर्जा एवं कार्बन डाय ओक्साइड का निर्माण होता हे l  उर्जा को रासायनिक उर्जा ATP के रूप में संग्रहित कर लिया जाता हे जबकि कार्बन डाय ओक्साइड को वातावरण में मुक्त कर दिया जाता है स्वसन के तीन मुख्य भाग हे उपरी स्वशन = नाक, मुख, ग्रसनी व कंठ निचला स्वशन = श्वासनली, स्वशनी व फेफड़े मांस पेशिया Oxidation of foods is called respiration. Respiration is a biochemical process that results in the formation of energy and carbon dioxide. Energy is stored in the form of chemical energy ATP while carbon dioxide is released into the atmosphere There are three main parts of breathing Upper breath = nose, mouth, pharynx and throat Lower breath = trachea, larynx and lungs musculoskeletal नाक नासिका प्रथम श्वसन अंग हे जो दो नासाछिद्रों से शुरू होकर नासगुहा से होता हुवा नासाग्रसनी में खुलता है l नासछिद्रो से वायु नासगुहा में प्रवेश करती हे एवं नासगुहा में उपस...

Motion ,Newton's laws of motion and force (strength)

गति कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की अपेक्षा में समय के साथ स्थान को बदलती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति (motion) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में – यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति अपने चारों ओर कि वस्तुओं की अपेक्षा परिवर्तित करती रहती है तो वस्तु की यह स्थिति गति कहलाती है। उदाहरण – नदी में चलती हुई नाव, वायु में उडता हुआ वायुयान आदि। न्यूटन के गति के नियम 1. न्यूटन का प्रथम नियम (जडत्व का नियम):   कोई वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या एक सीध में एकरूप गति अवस्था में तब तक ही रहती है, जब तक बाहरी बल द्वारा उसकी विरामावस्था या गति अवस्था में कोई परिवर्तन न किया जाए। इससे वस्तु के विराम की अवस्था का पता चलता है अतः यह नियम विराम का नियम भी कहलाता हैं। जड़त्व का नियम (Law of Inertia):   जब तक कि उस वस्तु पर कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाए तब तक कोई वस्तु यदि स्थिर अवस्था में है तो वह स्थिर अवस्था में ही रहेगी और यदि वस्तु एक समान गति की अवस्था में तो वह समान रूप से गतिशील ही रहेगी। वस्तु के विरामावस्था में रहने या एकसमान वेग से गतिशील रहने की प्रवृति या अपनी मूल अवस्था को बनाये रखने की प्रवृति को जड़त...

Cell and Cell structure

चित्र
कोशिका सर्वप्रथम 1665 ई. में रार्बट हुक ने साधारण सूक्ष्मदर्शी से कार्क की पतली काट में कोशिका को देखा। वास्तव में हुक द्वारा देखी गई कोशिकायें मृत कोशिकाएं थी। सन् 1674 ई. में ल्यूवेन हाॅक ने विकसित सूक्ष्मदर्शी द्वारा जीवित कोशिकाओं का अध्ययन किया। प्रत्येक जीव का शरीर सूक्ष्य इकाइयों से बना होता है, जिन्हें कोशिका कहते हैं। जीवों के शरीर में होने वाली समस्त क्रियाएं भी कोशिकाओं के द्वारा ही होती है। अतः कोशिका ही जीवों की मुख्य संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। कोशिकाओं की तुलना हम ईंटों से कर सकते हैं। जिस प्रकार विभिन्न ईंटों को जोड़ कर भवन का निर्माण किया जाता है उसी प्रकार विभिन्न कोशिकाएँ एक दूसरे से जुड़कर प्रत्येक सजीव के शरीर का निर्माण करती हैं। कोशिका से सम्बन्धित विज्ञान की शाखा को कोशिका विज्ञान Cytology कहते हैं। वे जीव जिनका शरीर केवल एक कोशिका का बना होता है, एककोशिक जीव कहलाते हैं, जैसे - अमीबा, क्लेमाइडोमोनस। अनेक कोशिकाओं से बने जीव बहुकोशिक जीव कहलाते हैं, जैसे - कवक, पादप, जन्तु। एककोशिक जीवों में सभी जैव क्रियाएं जैसे पोषण, श्वसन, उत्सर्जन, वृद्धि एवं जनन शरीर की...

Light ,Dispersion of light by Prism,Scattering of light,Interference of light Waves,Refraction of light

चित्र
प्रकाश (Light) प्रकाश ऊर्जा का वह प्रकार है जिसकी सहायता से हम वस्तु को आसानी से देख पाते हैं. अब अंधेरे में रखी हुई वस्तुएं हमें नहीं दिखाई देती जैसे ही बल्ब या मोमबत्ती जलती है तो वह प्रकाश उत्पन्न करती है और यह प्रकाश वस्तु पर आपतित होता है यानी जो प्रकाश बल्ब या मोमबत्ती द्वारा उत्पन्न होता है सबसे पहले वह वस्तु पर पड़ता है और वस्तु से परावर्तित होकर हमारी आंखों पर पड़ता है प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो आखों को संवेदित कर वस्तुओं के रंग रूप आदि का ज्ञान कराती है। प्रकाश के सन्दर्भ में सर्वप्रथम न्यूटन ने ’कणिका सिद्धान्त’ प्रतिपादित किया था। उसके अनुसार प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है लेकिन बाद में हाइगेन्स ने अपने सिद्धान्त में कहा कि प्रकाश तरंगों के रूप में गमन करता है जिसकी पुष्टि यंग ने अपने व्यतिकरण प्रयोगों द्वारा की परन्तु उसके द्वारा प्रकाश वैद्युत प्रभाव की व्याख्या नहीं की जा सकती।  बाद में सन् 1905 में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलों का समुच्चय है। इन बंडलों को फोटाॅन कहते हैं। सन् 1973 में मैक्सवेल ने बताया प्रकाश एक प्रकार की ...

Nervous system, Brain ,Spinal Cord, तंत्रिका तंत्र

चित्र
तंत्रिका तंत्र {Nervous system} तंत्रिका तंत्र संवेदी अंगों, तंत्रिकाओं, मस्तिष्क, मेरुरज्जु एवं तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य मुख्यतया मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु के द्वारा किया जाता है।मानव शरीर का वह तंत्र जो सोचने, समझने तथा किसी चीज को याद रखने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों में सामंजस्य तथा संतुलन स्थापित करने का कार्य करता है, तंत्रिका तंत्र कहलाता है।  मानव में तंत्रिका तंत्र तीन भागों में विभक्त रहता है- (A)केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र  (B)परिधीय तंत्रिका तंत्र  (C)स्वायत्त या स्वचालित तंत्रिका तंत्र  (A)केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क (Brain) तथा मेरुरज्जु दोनों मिलकर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की स्थापना करते हैं। मस्तिष्क मेरुरज्जु का ही बढ़ा हुआ भाग है।तंत्रिका तंत्र का वह भाग जो सम्पूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है। (a)मस्तिष्क (Brain) मस्तिष्क मानव शरीर का केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण अंग है और यह आदेश व नियंत्रण तंत्र की तरह कार्य करता है...