Gravitational force and Properties of Gravitational Force
गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force)
जिस बल के कारण दो वस्तुएं एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती है, उसे ‘गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force ) किन्ही दो वस्तु, पदार्थ अथवा कणों के बीच उपस्थित एक आकर्षण बल है l गुरुत्वाकर्षण बल न सिर्फ पृथ्वी और वस्तुओं के मध्य का आकर्षण बल है बल्कि यह ब्रह्माण्ड में मौजूद हर पदार्थ या वस्तु के बीच मौजूद है।
The force due to which two objects attract each other towards themselves is called the 'force of gravity'. Gravitational force is the force of attraction between any two objects, matter or particles. Gravitational force is not only the force of attraction between the earth and objects, but it is present between every substance or object present in the universe.
गुरुत्वाकर्षण को उस त्वरण (acceleration) से मापा जाता है जो मुक्त रूप से गिरने वाली वस्तुओं को देता है।
यह नियम इस प्रकार है, ‘ब्रह्माण्ड में प्रत्येक कण (पिण्ड), किसी भी अन्य कण को अपनी और आकर्षित करते हुए उस पर आकर्षण बल लगाता है, जिसे गुरूत्वाकर्षण बल अथवा गुरुत्वीय बल कहते है।
Gravity is measured by the acceleration it gives to freely falling objects.
This law is as follows, 'Every particle (body) in the universe, attracting any other particle towards itself, exerts an attractive force on it, which is called gravitational force or gravitational force.
इस बल का परिमाण दोनों कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युक्कमानुपाती होता हैं।
माना कणों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा इनके बीच की दूरी r है, तब इनके बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल F का परिमाण
F=G {m1m2}\{r^{2}}
The magnitude of this force is directly proportional to the product of the masses of the two particles and inversely proportional to the square of the distance between them.
Let the masses of the particles be m1 and m2 and the distance between them is r, then the magnitude of the gravitational force F between them is
F=G {m1m2}\{r^{2}}
वस्तुएं एक-दूसरे से किसी प्रकार जुड़े बिना भी आपस में गुरुत्वाकर्षण बल लगाती हैं। किसी वस्तु पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को प्रायः उस वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्व बल कहा जाता है। उदाहरण के लिए पृथ्वी सूर्य के चारों ओर और चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही घूमता हैं ।
Objects exert a gravitational force on each other without being attached to each other in any way. The gravitational force of the Earth on an object is often called the gravitational force of the Earth on that object. For example, the Earth revolves around the Sun and the Moon revolves around the Earth due to the force of gravity.
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम
ग्रहों और चन्द्रमा की गतियों के अपने अध्ययन के दौरान , न्यूटन ने निष्कर्ष निकाला कि गुरुत्वीय आकर्षण न केवल पृथ्वी की ओर गिरते सेव की गति और पृथ्वी के चारो ओर घूर्णन करते चन्द्रमा की गति के लिए उत्तरदायी है बल्कि “ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु प्रत्येक अन्य वस्तु को आकर्षित करती है ” के लिए भी उत्तरदायी है।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार ब्रह्माण्ड में पदार्थ का प्रत्येक कण बल द्वारा प्रत्येक अन्य कण को आकर्षित करता है जो कि कणों के द्रव्यमानों के गुणन के समानुपाती होता है और इनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
In the course of his study of the motions of the planets and the moon, Newton concluded that gravitational attraction is responsible not only for the motion of the Sun falling toward the Earth and the motion of the Moon as it revolves around the Earth, but that "every object in the universe is responsible for every other object". is also responsible for attracting.
According to Newton's law of gravitation, every particle of matter in the universe attracts every other particle by a force that is proportional to the product of the masses of the particles and inversely proportional to the square of the distance between them.
गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताएँ ( Properties of Gravitational Force )
1. यह सदैव आकर्षण प्रकृति का होता है ।
2. गुरुत्वाकर्षण बल एक दुर्बल प्रकृति का बल है । यह प्रकृति में पाये जाने वाले बलों में सबसे दुर्बल बल ( weakest force ) है ।
3. यह बल अन्तराणविक दूरियों से लेकर अन्तर्ग्रहीय दूरियों तक के लिए कार्य करता है ।
4. यह कणों के बीच उपस्थित माध्यम पर निर्भर नहीं करता है ।
5. यह एक संरक्षी बल ( conservation force ) है , अर्थात् इसके द्वारा किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता तथा इसके द्वारा एक पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य होता है ।
6. यह एक केन्द्रीय बल है अर्थात् यह कणों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है ।
7. गुरुत्वाकर्षण बल दो कणों के मध्य लगने वाला अन्योन्य बल है , अर्थात् दो कणों के बीच कार्यरत् गुरुत्वाकर्षण बल पर किसी अन्य कण की उपस्थिति या अनुपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
अतः इन बलों के लिए अध्यारोपण का सिद्धान्त लागू होता है । जिसके अनुसार , बहुत सारे कणों के कारण किसी कण पर बल , अलग – अलग कणों के कारण लगने वाले बलों का परिणामी बल होता है । अर्थात्
F = F1+ F2 + F3.….
1. This attraction is always of nature.
2. Gravitational force is a force of a weak nature. It is the weakest force among the forces found in nature.
3. This force works from intermolecular distances to interplanetary distances.
4. It does not depend on the medium present between the particles.
5. It is a conservation force, that is, the work done by it does not depend on the path and the work done by it in one complete cycle is zero.
6. It is a central force i.e. it acts along the line joining the particles.
7. Gravitational force is the mutual force acting between two particles, that is, the presence or absence of any other particle has no effect on the gravitational force acting between two particles.
Therefore, the principle of superposition applies to these forces. According to which, the force on a particle due to many particles is the resultant force of the forces due to individual particles. ie
F = F1+ F2 + F3.….
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